Tuesday, 31 July 2018
Tuesday, 24 July 2018
दिल की दस्तक।
मेरे दिल मैं आज दस्तक होती है।
मेरी आंख भी आज किसी के लिए रोती है।।
आज उसकी ख़ामोशी नहीं है मुझे गवारा।
मगर ना जाने क्यूं यह बात कहते ही,
मेरी हिम्मत मेरा साथ छोड़ देती है ।।
चाहती हूं मै उसे बार बार नहीं सौ बार कहूं
मै उसपे मरती हू।
वह नहीं है खुदा फिर भी मेरे हर लफ्ज़ पर आज नाम उसका लिया करती हूं ।।
उसकी हर बात मेरे दिल में कली सी खििलती है
उसकी वह बेरुखी मेरे दिल में तीर सी चुबती है।।
जानती हूं उसे मुझसे बहुत मोहब्बत है
उसके दिल में मुझसे मिलने की हसरत है।।
मैं जानती हूं वह उसकी कोशिश मुझे बार-बार मनाने की।
वह अपनी प्यारी प्यारी बातों से अपनी चाहत दिखाने की ।।
जानती हूं मैं उसका बहुत दिल दुखाती हूं
जब मैं हर बात को ना मैं छुपाती हूं ।।
पर कैसे बताऊं उसे अपने, अपनों और सपनों का भंवर ।
चाहत है मेरी उससे तू भी तो कभी मेरी ख़ामोशी समझ ।।
जानती हूं में तेरा दिल दुखाती हूं
ना चाह के भी में तुझे तड़पाती हूं।।
में जानती हूं तेरी उम्मीदों को मैं पूरा नहीं कर सकती
चाहूं भी तो तेरी चाहत में नहीं पड़ सकती ।।
क्योंकि मैं जानती हूं यह तेरे साथ धोखा होगा
क्युकी तेरी चाहते तो अपार है।।
मगर तुझ पर तो मौके हजार है।
होकर मायूस यु ना बैठ तू मुझसे।।
क्युकी मैं भी तो गम में खोई हू
जानती हूं में तुझे नहीं पता,
लेकिन मैं भी तो कभी तुझे सोचकर रोई हूं।।
यही है अब तमन्ना मेरी,तू भी कभी तो समझे खामोशी मेरी
कभी तो दिखे तुझे तन्हाई मेरी।।
होकर तु मुझसे यूं मायूस ना बैठ
कभी तो तू भी मेरी मजबूरी देख ।।
धन्यवाद्
Monday, 23 July 2018
एक बात मन की ।
एक बात आज मन में आ रही है।
न जाने क्यों मुझे मेरी तन्हाई सता रही है।।
यूं तो भीड़ है मेरे चारों तरफ अपनों की..
शायद बात है आज मेरे, खुद के सपनों की।।
क्यों है आज यह दर्द, मेरे दिल में ..
क्यों है आज यह हलचल, मेरे मन में।।
क्या कहीं कुछ मुझसे छूटा है....
या शायद कोई मेरा अपना मुझसे रूठा है।।
यूं तो ख्वाहिशें मुझे गवारा नहीं अपनी..
सही हूं में या गलत, इसका भी तो कोई इशारा नहीं ।।
फिर ना जाने क्यूं आज ये बात मन में आ रही है..
मेरी तन्हाई मुझे क्यों सता रही है।।
यूं तो पता है मुझे मेरी खुशी का रास्ता ।
मगर मुझे है ..मेरे अपनों का मेरे सपनों का वास्ता ।।
मैं ना खुश,हूं..फिर भी क्यों खुश हो कर दिखा रही हूं ।
ना बंदिश कोई ना कोई मजबूरी.. यह वहीं तो है ना.. जो मैं चाह रही हूं ।।
नहीं पता मुझे मैं सही हूं,.. या हूं में गलत कहीं।
में यह बात क्यों,, समझ नहीं पा रही हूं।।
क्या में कहीं गलत जा रही हूं ,..
नहीं पता क्या में चाह रही हूं।।
Tuesday, 17 July 2018
पागल सा ये दिल।
बैठी हूं आज तन्हा रातो में अपने दिल के पास
यही तो है एक जो जानता है मेरे हालात...।।
ये दिल फुसफुसाता है कभी,तो कभी बहलाता है।
कभी कभी हौले से कुछ कह जाता है ।।
इसी की सरसराहट से महक जाता है ये पल मेरा ।
फिर भी ना जाने किस के ख्याल से, शरमता है ये दिल मेरा।।
कभी खिलखिलाकर हस्ता है,तो कभी बहुत रूलाता जाता है ये दिल..।
सोचती हूं में कभी ..ना जाने किसके ख्याल में पागल सा हो जाता है ये दिल..।।
कभी डराता है ये दिल ,तो कभी भीड़ में भी अकेला नज़र आता है ये दिल..।
अजीब हरकतें है इस दिल की , उलझ जाता है कभी..तो उलझा जाता है कभी।।
फिर भी इसकी प्यारी हरकतें बहुत हसाती है मुझे।
ये लम्हा गुजर ना जाए कहीं ..इस ख्याल से घबराता है ये दिल।।
Sunday, 8 July 2018
सपने और अपने।।
ज़िन्दगी ख्वाब है ,या ख्वाब है जिंदगी
अपनों से होती है ,या सपनों सी होती है जिंदगी।।
- कोई तो बताए जरा।?।
क्या फर्क होता है जिंदगी और सपनों में
क्या सपनों के लिए कुर्बान आपने ...
या अपनों पर कुर्बान है ये जिंदगी ..
या फिर सपने सी होती है ।?।
- कोई तो बताए ।?।
सुना है मैंने ,, सपने तो अपने होते हैं...
और अपने होते हैं जिंदगी ।
फर्क बस इतना है ,, सपने तो टूट जाते हैं..
मगर क्या सच में आज भी अपने साथ निभाते हैं ।?।
- कोई तो बताए।?।
हो कोई रिश्ता ऐसा ,,जो हो सपने जैसा ..
और बन जाए जिंदगी ।?।
- कोई तो बताए।?।
जिंदगी की कशमकश में ,,क्यों कुछ पूरा सा लगता है ..क्यों कुछ अधूरा सा लगता है ।
क्यों अपने बन जाते हैं सपने ,,और क्यों अपने होते हैं जिंदगी ।?।
- कोई तो बताए।?।
आज भी यह समझ नहीं आता ..
अपनों से है जिंदगी ..
या सपनों से है जिंदगी ।?।
- कोई तो बताए ।?।
क्या सपने झूठ होते हैं ,,क्योंकि मैंने सपनों को टूटते देखा है..
मगर क्या अपने सच में होते हैं अपने ,,तो फिर क्यों मैंने रिश्तों को टूटते देखा है।?।
- कोई तो बताए ।?।
अजीब सी पहेली है ये ज़िन्दगी..
सपनों पर कुर्बान अपने..
और अपनों पर कुर्बान है ये जिंदगी।।
धन्यवाद दोस्तो ..
आप का क्या विचार ज़िन्दगी और सपनों पर कमेंट करके बताए।
Friday, 6 July 2018
काश ऐसा होता ।
- काश कभी ऐसा होता ,यह लम्हा तन्हा ना होता ।
वह पल सपना ना होता , वो कल अपना ना होता।
अपने बेगाने ना होते.. और बेगाना अपना ना होता।।
दिल से दिल को मिलाने की साजिश ना होती
अगर तुम्हारी मिलने की कोई हसरत ना होती ।।
- फुर्सत के लम्हों में उनका ..आना ना होता।
रिश्ता अगर उनसे हमारा ..पुराना ना होता ।
जो हो गई गुस्ताखी मुस्कुराने से हमारे ..
मुस्कुरा कर उन लम्हों को भुला ना पाएंगे कभी।
जब मिले वह हमसे अजनबी की तरह
लम्हे सिमट गए थे ,ऐसे लहरों की तरह ।।
- उम्मीद ना थी खुद से बह जाएंगे हम भी।
बुलाकर खुद को ..किसी को इस तरह चाहेंगे हम भी ।
कभी अकेली तन्हा रातों में जब याद आएंगे वहीं।
यह पल हमको हर पल सताएंगे यूं ही
उनकी याद में अक्सर पूछे जाएंगे यूहीं ।।
- क्या वो भुला के सब कुछ फिर से आएंगे कभी।
क्या वह बातें अपने दिल की बताएंगे कभी।
मगर हम भी गलती.. वह फिर से दोहराएंगे नहीं..
इस बार अपना बना के जमाने से छुपाएंगे नहीं ।।
अपनी यादें में हम उनको दीवाना बनाएंगे
भूल ना पाएंगे वह हमें इस तरह चाहेंगे
प्यार की ताकत एक दिन हम उनको भी बतलाएंगे ।।
तुझसे नाराज़ नहीं जिंदगी ।।
ज़िन्दगी
से भला कैसे नाराजगी सुख दुख तो बस धूप-छांव है ।
दिक्कत हर एक के साथ हैं कहीं कम तो कहीं ज्यादा और अगर मुश्किलें हैं ..,तो रास्ते भी हैं ,,मगर जरूरत है हौसला रख कर आगे बढ़ने की ।
मत भूलिए कि 8400000 योनियों में भटकने के बाद में यह मानव देह मिलती है । इसे बेमतलब में ही खाक कर देने का हमें कोई हक नहीं है।
यह तो तय है कि जिंदगी फूलों की सेज नहीं है ,,यहां कभी खुशियों से दामन भर उठता है तो कभी दुखों का पहाड़ भी टूट पड़ता है। फिर भी क्योंकि यह नियति है कि समय बदलेगा और उसके साथ ही बुरे दिन भी गुजर जाएंगे ।
और यहां जो हमारी उम्मीदें नहीं बढ़ती हम मान कर चलते हैं कि अच्छे दिन भी आएंगे ,,और इस आशा में हम कोशिश करते रहते हैं जीने की.. और जीते हैं ।
लेकिन हम में से कई बीच राहा में ही हौसला छोड़ देते हैं। और अक्सर छोटी सी बात पर अपना अमूल्य जीवन ..समाप्त करने का फैसला कर बैठते हैं। जो व्यक्ति लंबे समय से जीवन संग्राम में संघर्ष कर रहा हो और उसे लगने लगे ,,कि जीवन में उसके लिए कुछ नहीं रखा है ,,और ऐसे में वह मुसीबतों से घबराकर घुट-घुटकर अभावग्रस्त जिंदगी जीने के बजाय आत्महत्या करना ज्यादा स्वीकार करते हैं ।
या फिर हो सकता है कि ,,किसी व्यक्ति के हम को किसी बात से जबरदस्त ठेस लगे और वह प्रतिदिन बस खुद को समाप्त करने की कोशिश कर बैठे.. इसके अलावा भी मानव मन की गई गुत्थियां हो सकती है ,जो कि किसी को भी आत्महत्या के लिए प्रेरित करती हैं । 57
वह व्यक्ति चाहता है कि उसके मन की गुत्थी को कोई समझे ।समझने की कोशिश करें उसकी समस्या को सुने ..
और उससे भावनात्मक सहारा दे । अगर हम संजीदगी से कोशिश करें तो सहज ही महसूस कर सकते हैं उस व्यक्ति के दर्द और जिंदगी के प्रति आक्रोश को ।
आखिर यह कितनी बड़ी बात है ..कि कोई व्यक्ति इस रंग बिरंगी दुनिया से ही से ही विकृत होता है कोई आकर्षण उसके लिए मायने नहीं रखता वह अपने अस्तित्व के औचित्य पर सवाल खड़े करता है ,,और जब उससे कोई जवाब नहीं मिलता तो वह अपनी जान देने की ठान लेता है ।
अगर उसे कोई ऐसा शुभचिंतक मिल जाए..
जो उसकी बात धीरज से सुने..
उसकी समस्या को पर्याप्त महत्व दें ..
उसके दुख में शामिल हो ..
उसे जिंदगी से संघर्ष करने को प्रेरित करें ..।
उसे यह समझाए,, कि जिंदगी से बढ़कर कुछ भी नहीं है ..जिंदगी कीमती है तथा हर कदम कदम पर साथ निभाने का वादा करें ।।
और शायद ऐसे दोस्त किसी किस्मत वाले को ही मिलते हैं।।।
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zindagi |
तो आप ही बताओ क्या आप किस्मातवाले हो ,,,आप के पास है कोई ऐसा जो आप की हर बात समझता हो ??
विचार कीजिए ... धन्यवाद्
Thursday, 5 July 2018
ज़िद्द या तन्हाई ।
कुछ तो ज़िद्द थी,कुछ तन्हाई थी
शायद आज याद किसी की आई थीं।
आज फिर आँखों में मेरे रुस्बाई थी।
क्योंकि आज याद किसी की आयी थी.....।।
जख्म किसी को अपने दिखा ना साके।
समझे सब कुछ,मगर किसी को समझा ना सके ।
जख्म दिखे नही मरहम लगा न साके।।
खास समझता कोई ,ख़ामोशी तो ये आग हमें जलाई ना होती।
भीड़ बहुत थी आपनो की ..काश किसी ने तो...।
अपना कहने की हिम्मत दिखाई होती।।
गम बहुत थे ,और मरहम बहुत थे।
फिर भी किसी की कमी सताई थी।
जाने क्यों आज ..याद किसी की आई थी।।
चाहते तो अपार थी ,मगर बंदिशे हजार थी.....
चाहातो को, शायद हम छोड़ ना सके,,
और बिंदिशो को हम तोड़ ना सके।।
फस के अपने ही जाल में ,,
अपनी ही धड़कन खामोशी से छुपी थी।
कुछ तो ज़िद्द थी ..कुछ तन्हाई थी ।।
चाहत थी मेरी भी ,में फना हो जाऊ..
भूल के सब कुछ ,,स्वार्थ में खो जाऊ...
मगर डर था मुझे ...
कहीं अपनों से बेवफा ना हो जाऊ।।
मैंने अपने गमो की दस्ता किसी को सुनाई ना थी,...
और ख़ामोशी मेरी किसी को समझ आयी ना थी।
कल भी थी अकेली ,और आज भी हु अकेली.....
जाने क्यों ज़िन्दगी ..मुझे लगने लगी है पहेली।।
(धन्यवाद् ..आप सब का दिन शुभ हो )
Wednesday, 4 July 2018
ज़िन्दगी एक पल की ।
कभी दोस्त तो कभी दुश्मन नजर आती है ज़िन्दगी...।
हर रोज एक नई आस जगाती है जिंदगी..।।
जिंदगी कभी प्रीतम के प्यार में ...
कभी बिछड़ गए ..यार के इंतजार में....
कभी मंजिल की तलाश में....
कभी किसी से मिलने की आस में ...
यूं ही गुजर जाती है जिंदगी..।।
सफर ऐसा की जाए मुसाफिर घर अगर...
रुके कदम थक कर कहीं...
तो हवा के झोंके सी...
वहां से तब वक्त से भी तेज नजर आती है जिंदगी में..।।
हंसाती है जिंदगी....
रुलाती है जिंदगी...
हर पल एक नई कहानी सुनाती है जिंदगी।।
हर रोज हर लम्हा एक नया अध्याय ....
कभी खुद छात्र ...
तो कभी खुद अध्यापिका...
यूहीं नए नए पाठ पढ़ाती है ज़िन्दगी ....।।
जिंदगी कभी आंसुओं से भर देती है दामन ..
तो कभी कल से भी कुरूप ...
नजर आती है जिंदगी..।।
क्या बताऊं इसकी परिभाषा नहीं कोई ...
कभी तंहा तो कभी महफिल ....
कभी यूं ही उदासियों में गुजर जाती है जिंदगी।।
हंसाती है जिंदगी ..
रुलाती है जिंदगी ..
यूं ही सपने दिखाती है जिंदगी ।।
(धन्यवाद्)
फिर याद आ गया कोई ।
- आज फिर याद आ गया कोई ..
ख्यालों में आकर सता गया कोई ।।
- दिल से दी है किसी यार ने सदा ..
तन्हा मे थी..फिर याद आ गया कोई ।।
- पहले से ही दिल बहुत बेकरार था ..
बेताबियां को और बढ़ा गया कोई ।।
- जिन लम्हों को हम याद रखना नहीं चाहते..
उन लम्हों की याद दिला गया कोई ।।
- जिन सपनों को देखना छोड़ दिया मैंने ..
वह सपने दिखा गया कोई ।।
- जिस गीत को हम गुनगुना नहीं सकते ..
वही नज़्म जाने क्यों सुना गया कोई।।
Tuesday, 3 July 2018
फूल की आरज़ू ।
सांसो को लव की मानिंद जलना पड़ा।
उम्र को मोम बनकर पिघलना पड़ा।।
मेरा उससे बहुत गहरा रिश्ता रहा।
मैं गिरी तो उसे भी संभालना पड़ा ।।
वक्त के हाथों शायद वह मजबूर थे।
वक्त के साथ जिन को बदलना पड़ा।।
सारे संसार को जीतने के वास्ते ।
एक गौतम को घर से निकलना पड़ा ।।
दिल ने की फूल की आरज़ू एक दिन ।
उम्र भर हम को कांटो पर चलना पड़ा ।।
धन्यवाद।
छोटी छोटी बातें.
- पता है दोस्तो मैंने कई बार लोगो को कहते हुए सुना है यार छोटी छोटी बातों पे गुस्सा हो जाते हो ।
छोटी छोटी बातें ....
- आसान होता है ना कहना छोटी छोटी बातें...लेकिन मेरे मन में हमेशा एक सवाल आता है क्या हर छोटी बात सच में उतनी छोटी है जितनी दिखती है ।
अगर हर छोटी बात छोटी होती है तो इस छोटी बात से बड़े बड़े रिश्ते क्यों टूट जाते है ।
मगर जानते है ऐसा क्यों होता है .....
क्योंकि बहुत बड़ा फर्क होता है छोटी छोटी बात और बड़ी बड़ी बतो में ....
- बड़ी बड़ी बात ....
बड़ी बात हमेशा दो लोगो के बीच की होती है जब भी कभी कहीं बड़ी घटना घटती है तो वहां दो लोग होते है लेकिन घटना घटने के बाद में वहां दो नहीं बल्कि चार से भी ज्यादा लोग आ जाते है ..क्युकी बड़ी बातो का शोर इतना होता है वहां दो लोगो के बीच की लड़ाई कब दो परिवारों के बीच की लड़ाई और तो परिवार से कब दो कोमो के बीच की लड़ाई बन जाती है पता नहीं चलता ।बड़ी बड़ी बातो का फर्क इसीलिए इतना गहरा नहीं होता क्युकी जब गुस्सा में आता इंसान और झगड़ा शुरू करता तो चिक्ता है चिलाता है रोता है एक दूसरे पे आरोप लगता है ।खुद को हानि पहुंचता है या सामने वाले को हानि पहुंचाता है ...मार देता है या मर जाता है ।कुछ समय में जब सब ऊर्जा खत्म हो जाती तो शांत हो जाता है ।कुछ समय में भूल जाता है ।और सिर्फ बाते रह जाती है कांड रह जाते है ।
मगर इसे ठीक विपरीत ...
बात आती है इससे विपरीत क्या होता है क्यों छोटी छोटी बातें जरूरी है ....
- छोटी छोटी बातें ....
छोटी छोटी बातों को ना समझने का सबसे बड़ा कारण होता है दो लोगो का खास रिश्ता ।कोई भी रिश्ता है चाहे वो दोस्ती का है या प्यार का है या अपने पन का ..उसमें पहली बात तो यही होती है कोई रिश्ता खास तब बनता है जब उसमें विश्वास हो । विश्वास किसी भी इंसान पर कोई जब करता है तब उनकी थोड़े बहुत विचार मिलते हो और सामने वाला ईमानदार हो ।अगर किसी भी रिश्ते में ये सारी बाते है समझ है विश्वास है फिर क्यों वो लोग अलग हो जाते है ...इसका एक कारण है छोटी छोटी बातें...और छोटी छोटी बातें हमेशा दो लोगो के बीच होती है तीसरा इसमें शामिल नहीं होता यह खेल भावना और इच्छा और लगाव का है।
क्योंकि विश्वास ईमानदार और लगाव है,..तो जाहिर सी बात ये है वहां कुछ ना कुछ एहसास भी होगा ।
और हर छोटी बात हमारे एहसास से जुड़ी होती है ..जब कोई इंसान किसी सामने बाले इंसान को बोल नहीं पा रहा ..लेकिन वो अन्दर से घुट रहा है ..सामने वाला उसकी समझ नहीं पाता है ।और एक बोल नहीं पता ..यही एक कारण है ..जब दोनों में से एक को एहसास होता है ..इसको फर्क नहीं पड़ता मेरी तकलीफ से तो मुझे क्यों पड़े ..और उसका व्यवहार वहीं से बदल जाता है ।और जब इसका एहसास दूसरे इंसान को होने लगता है तो दोनों के बीच अजीब सी चुपी छा जाती है ..जिससे वो पास होकर पास नहीं..और साथ होकर साथ नहीं ।और जब एहसास और विश्वास दोनों खत्म होने लगते है तो ..इंसान को अपने आप ही हर बात पर गुस्सा करने और चिलाने लगता है ..और उसका व्यवहार ऐसा हो जाता जैसे उसको फर्क नहीं पड़ रहा ..ऐसा व्यवहार करने लगता है ।और अंत में दोनों के एहसासों के कातल हो जाता है..या यूं कहे एहसास मार दिए जाते है ।
इसका अन्त एक एक होता है एक दूसरे को दोष देना तुम छोटी छोटी बातो को बड़ा बना देते हो ...और दूसरी तरफ से तुम मुझे समझते ही नहीं हो ।तुमने मुझे जाना ही नहीं ।
- आप ही बताओ गलती किसकी थी ...?
धन्यवाद्
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