Sunday, 8 July 2018

सपने और अपने।।

ज़िन्दगी ख्वाब है ,या ख्वाब है जिंदगी

अपनों से होती है ,या सपनों सी होती है जिंदगी।।


  •  कोई तो बताए जरा।?।


 क्या फर्क होता है जिंदगी और सपनों में

क्या सपनों के लिए कुर्बान आपने ...

 या अपनों पर कुर्बान है ये जिंदगी ..

या फिर सपने सी होती है ।?।


  • कोई तो बताए ।?।



 सुना है मैंने ,, सपने तो अपने होते हैं...

 और अपने होते हैं जिंदगी ।

फर्क बस इतना है ,, सपने तो टूट जाते हैं..

 मगर क्या सच में आज भी अपने साथ निभाते हैं ।?।


  • कोई तो बताए।?।


 हो कोई रिश्ता ऐसा ,,जो हो सपने जैसा ..

और बन जाए जिंदगी ।?।


  • कोई तो बताए।?।


जिंदगी की कशमकश में ,,क्यों कुछ पूरा सा लगता है ..क्यों कुछ अधूरा सा लगता है ।

क्यों अपने बन जाते हैं सपने ,,और क्यों अपने होते हैं जिंदगी ।?।


  • कोई तो बताए।?।


आज भी यह समझ नहीं आता ..

अपनों से है जिंदगी ..

या सपनों से है जिंदगी ।?।


  • कोई तो बताए ।?।


क्या सपने झूठ होते हैं ,,क्योंकि मैंने सपनों को टूटते देखा है..

मगर क्या अपने सच में होते हैं अपने ,,तो फिर क्यों मैंने रिश्तों को टूटते देखा है।?।


  • कोई तो बताए ।?।


 अजीब सी पहेली है ये ज़िन्दगी..

 सपनों पर कुर्बान अपने..

 और अपनों पर कुर्बान है ये जिंदगी।।



धन्यवाद दोस्तो ..

आप का क्या विचार ज़िन्दगी और सपनों पर कमेंट करके बताए।

5 comments:

  1. Tu aise word lati kha se h

    ReplyDelete
  2. Dear pagli ladki,
    Aap shi m pgli he hoo lekin aapka pagalpan thida alg hai or apka y likhne ka tarika aisa hai ki samne vale ko sirf or airf zindagi ki sachchai he dikh jati hai aoki ek choti si poem me......

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद् आप का।

      Delete

POEMS THAT I LIKE MOST

ज़िन्दगी एक पल की ।

कभी दोस्त तो कभी दुश्मन नजर आती है ज़िन्दगी...। हर रोज एक नई आस जगाती है जिंदगी..।। जिंदगी कभी प्रीतम के प्यार में ... कभ...