Friday, 6 July 2018

काश ऐसा होता ।

  • काश कभी ऐसा होता ,यह लम्हा तन्हा ना होता ।

वह पल सपना ना होता , वो कल अपना ना होता।

अपने बेगाने ना होते.. और बेगाना अपना ना होता।।

 दिल से दिल को मिलाने की साजिश ना होती

 अगर तुम्हारी मिलने की कोई हसरत ना होती ।।



  • फुर्सत के लम्हों में उनका ..आना ना होता।

रिश्ता अगर उनसे हमारा ..पुराना ना होता ।

जो हो गई गुस्ताखी मुस्कुराने से हमारे ..

मुस्कुरा कर उन लम्हों को भुला ना पाएंगे कभी।

जब मिले वह हमसे अजनबी की तरह

लम्हे सिमट गए थे ,ऐसे लहरों की तरह ।।


  • उम्मीद ना थी खुद से बह जाएंगे हम भी।

बुलाकर खुद को ..किसी को इस तरह चाहेंगे हम भी ।

कभी अकेली तन्हा रातों में जब याद आएंगे वहीं।

यह पल हमको हर पल सताएंगे यूं ही 

उनकी याद में अक्सर पूछे जाएंगे यूहीं ।।



  • क्या वो भुला के सब कुछ फिर से आएंगे कभी।

क्या वह बातें अपने दिल की बताएंगे कभी।

मगर हम भी गलती.. वह फिर से दोहराएंगे नहीं..

इस बार अपना बना के जमाने से छुपाएंगे नहीं ।।

अपनी यादें में हम उनको दीवाना बनाएंगे

भूल ना पाएंगे वह हमें इस तरह चाहेंगे

प्यार की ताकत एक दिन हम उनको भी बतलाएंगे ।।

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