Tuesday, 17 July 2018

पागल सा ये दिल।

बैठी हूं आज तन्हा रातो में अपने दिल के पास

 यही तो है एक जो जानता है मेरे हालात...।।


ये दिल फुसफुसाता है कभी,तो कभी बहलाता है।

कभी कभी हौले से कुछ कह जाता है ।।


इसी की सरसराहट से महक जाता है ये पल मेरा ।

फिर भी ना जाने किस के ख्याल से, शरमता है ये दिल मेरा।।


कभी खिलखिलाकर हस्ता है,तो कभी बहुत रूलाता जाता है ये दिल..।

सोचती हूं में कभी ..ना जाने किसके ख्याल में पागल सा हो जाता है ये दिल..।।


कभी डराता है ये दिल ,तो कभी भीड़ में भी अकेला नज़र आता है ये दिल..।

अजीब हरकतें है इस दिल की , उलझ जाता है कभी..तो उलझा जाता है कभी।।



फिर भी इसकी प्यारी हरकतें बहुत हसाती है मुझे।

ये लम्हा गुजर ना जाए कहीं ..इस ख्याल से घबराता है ये दिल।।

6 comments:


  1. कभी डराता है ये दिल ,तो कभी भीड़ में भी अकेला नज़र आता है ये दिल..।अजीब हरकतें है इस दिल की , उलझ जाता है कभी..तो उलझा जाता है कभी।।

    क्या लिखती हो आप ...👌

    ReplyDelete

POEMS THAT I LIKE MOST

ज़िन्दगी एक पल की ।

कभी दोस्त तो कभी दुश्मन नजर आती है ज़िन्दगी...। हर रोज एक नई आस जगाती है जिंदगी..।। जिंदगी कभी प्रीतम के प्यार में ... कभ...