Monday, 23 July 2018

एक बात मन की ।


एक बात आज मन में आ रही है।

न जाने क्यों मुझे मेरी तन्हाई सता रही है।।



 यूं तो भीड़ है मेरे चारों तरफ अपनों की..

 शायद बात है आज मेरे, खुद के सपनों की।।



 क्यों है आज यह दर्द, मेरे दिल में ..

क्यों है आज यह हलचल, मेरे मन में।।



 क्या कहीं कुछ मुझसे छूटा है....

 या शायद कोई मेरा अपना मुझसे रूठा है।।



यूं तो ख्वाहिशें मुझे गवारा नहीं अपनी..

सही हूं में या गलत, इसका भी तो कोई इशारा नहीं ।।



फिर ना जाने क्यूं आज ये बात मन में आ रही है..

मेरी तन्हाई मुझे क्यों सता रही है।।



यूं तो पता है मुझे मेरी खुशी का रास्ता ।

मगर मुझे है ..मेरे अपनों का मेरे सपनों का वास्ता ।।



 मैं ना खुश,हूं..फिर भी क्यों खुश हो कर दिखा रही हूं ।

ना बंदिश कोई ना कोई मजबूरी.. यह वहीं तो है ना.. जो मैं चाह रही  हूं ।।



नहीं पता मुझे मैं सही हूं,.. या हूं में गलत कहीं।

में यह बात क्यों,, समझ नहीं पा रही हूं।।



क्या में कहीं गलत जा रही हूं ,..

नहीं पता क्या में चाह रही हूं।।



10 comments:

  1. Heart touching..
    Man ki bat..

    ReplyDelete
  2. No wrd 4 dis poem
    Realy it's heart touching......
    Bolna bahut kuch chahta hu butt bol ni kta ki poem kha tk le gai

    ReplyDelete
  3. हर दिल की बात ..������

    ReplyDelete
  4. सुना था के की बेसक सुनहरी ये दिल
    समंदर से खामोस गहरी ये दिल
    मगर मेरे दिल की कोई सुन न पाए
    तो लगती है गूंगी है बहरी ये दिल
    @Kumar Ashok
    onloveshayri.blogspot.com

    ReplyDelete

POEMS THAT I LIKE MOST

ज़िन्दगी एक पल की ।

कभी दोस्त तो कभी दुश्मन नजर आती है ज़िन्दगी...। हर रोज एक नई आस जगाती है जिंदगी..।। जिंदगी कभी प्रीतम के प्यार में ... कभ...