Wednesday, 4 July 2018

ज़िन्दगी एक पल की ।




कभी दोस्त तो कभी दुश्मन नजर आती है ज़िन्दगी...।
हर रोज एक नई आस जगाती है जिंदगी..।।

जिंदगी कभी प्रीतम के प्यार में ...
कभी बिछड़ गए ..यार के इंतजार में....
कभी मंजिल की तलाश में....
 कभी किसी से मिलने की आस में ...
यूं ही गुजर जाती है जिंदगी..।।

सफर ऐसा की जाए मुसाफिर घर अगर...
रुके कदम थक कर कहीं...
तो हवा के झोंके सी...
 वहां से तब वक्त से भी तेज नजर आती है जिंदगी में..।।

हंसाती है जिंदगी....
 रुलाती है जिंदगी...
 हर पल एक नई कहानी सुनाती है जिंदगी।।

हर रोज हर लम्हा एक नया अध्याय ....
कभी खुद छात्र ...
तो कभी खुद अध्यापिका...
यूहीं नए नए पाठ पढ़ाती है ज़िन्दगी ....।।

जिंदगी कभी आंसुओं से भर देती है दामन ..
तो कभी कल से भी कुरूप ...
नजर आती है जिंदगी..।।

क्या बताऊं इसकी परिभाषा नहीं कोई ...
कभी तंहा तो कभी महफिल ....
कभी यूं ही उदासियों में गुजर जाती है जिंदगी।।

हंसाती है जिंदगी ..
रुलाती है जिंदगी ..
यूं ही सपने दिखाती है जिंदगी ।।



(धन्यवाद्)

8 comments:

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