Thursday, 13 September 2018

शायरी

अपनी बातों पे खुद गौर कर ले

और सोचे, ये क्या कह रहे है

पहले अपने गरेवा में झाके

जो हमे बेवफा कह रहे है ।।


दिल जो टूटा तो कुछ गम नहीं है

तुमको पहचाना ये कम नहीं है 

तुम जिसे जीत कहते हो अपनी

हम उससे ताजुरवा केह रहे है ।।


ज़िन्दगी से बहुत दुरिया है

ज़िंदा रहना भी मजबूरियां है 

उनके हालत भी कोई देखे

ज़हर को जो दवा कह रहे है ।।

                                @अंजुम

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