Sunday, 2 September 2018

अभिलाषा


मैंने जाना है एक इंसान को उसकी सोच महान को.. कार्य उसके न्यारे है, चारों तरफ फैले उजियारे है । अंधेरा ना भटक पायेगा कभी उसके आसपास ..उसकी हंसी के गीत तो इतने प्यारे  है। ।


यूं तो छोटा सा यह जहान है.. लेकिन इस जहान में भी एक जान है, जिसकी सोच महान है। यूं तो जाना मैंने उसे कुछ ज्यादा नहीं... इसीलिए सही और गलत कहने का भी कोई इरादा नहीं।।


जाना बस इतना ,सोच उसकी न्यारी है .. आशा इतनी ,सबके मन में उसकी छवि प्यारी हो। बढ़ाएं कदम वो जिस डगर पर ..फूल बिछे मिले उसे पग-पग पर।।


उसकी हर डगर सुहानी रहें , दुनिया उसकी दीवानी रहें । उसकी हर शाम नूरानी रहें उसकी हर बात रूहानी रहें  ... कार्य करे वह जिस पथ पर ,उसकी अमर कार्यों की कहानी रहें ।।


भिखेरे नूर खुदा हर पल में ..उसका जीवन नूरानी रहें । मेरी आशा की भी अभिलाषा यही.. अमर मेरे शब्दों की बानी रहें ।।


कुबूल करें इसे खुदा भी , ईश्वर की भी मिले रजा.. लिखा मिटे भले ..ना मिटे एहसास की सदा .. शब्द शब्द जुड़े एहसासों से ..हकीकत शब्दों की कहानी रहे।।।


उसका जीवन नूरानी रहें  , उसकी सोच रूहानी रहें।

अमर उसके कार्यों की कहानी रहे ..दुनिया उसकी दीवानी रहे ।।

                           



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